बड़ी शातिर है ये दुनिया बहाना ढूंढ लेती है
हकीकत जिद किये बैठी है चकनाचूर करने को
मगर हर आँख फिर सपना सुहाना ढूंढ लेती है
उठती है जो खतरा हर कदम पर डूब जाने का
वही कोशिश समुंदार में खजाना ढूंढ लेती है
न चिड़िया की कमाई है न कारोबार है कोई
वो केवल हौंसले से आबोदाना ढूंढ लेती है
जूनून मंजील का राहों में बचाता है भटकने से
मेरी दीवानगी अपना ठिकाना ढूंढ लेती है
- राजेंद्र तिवारी
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