Monday, February 14, 2011

माफ़ करना मुझको गुस्ताखी कर रहा हूँ ,,
जज़्बात हैं ये मेरे जिन्हें  तुमसे कह रहा हूँ ,,

दूर हो तुम लेकिन ख्याल इतना रखना ,
पूछते रहना की कैसे रहे रहा हूँ ,

जनता हूँ की नामुमकिन हो तुम मेरे लिए,
कोशिश तो कर सकता हूँ वही कर रहा हूँ,

समझ नही आता की कैसे खुद को मैं साबित करूं,
बस एक मौका मिल जाये ,मैं यही सोच रहा हूँ,

इस दिल से हूँ मजबूर और तुम्हारी यादों से लाचार,
मेरे बस मैं कुछ नही है ,मैं खड़ा देख रहा हूँ,

सोचा तुझे चाहा तुझे पूजा तुझे माँगा तुझे,
क्या यही थी मेरी खता मैं ये सोच रहा हूँ,

रूठ न जाना मुझसे पल भर को भी मेरे हमनवा,
जी न पाऊंगा हेरगिज़ सच मैं कह  रहा हूँ,

ऐसा नही की मुझको तेरे जज़्बात की कद्र न हो,
मैं उलझा हूँ दरम्यान दोनों के क्या करीं सोच रहा हूँ,

मुझको नही पता की ये सही है या गलत ,
बस इस  दिल हो मजबूर मैं कर रहा हूँ,

मैं नही कहता की मुझको अपना बना लो तुम,
बस कोशिश करो समझने की महसूस जो मैं कर रहा हूँ,

..........सपेसिअल्ली फॉर यू........







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